युवा नायक विवेकानंद
भारत भूमि ने ऐसे महानायकों की गाथा लिखी है जिन्होंने देश मे ही नही अपितु विदेशो मे भारत का नाम गौरान्वित किया है। स्वामी विवेकानंद ऐसी शख्सियत के धनी थे की जो भी उनसे मिलता वो उनका कायल हो जाता। कई किस्से उनके जीवन से जुड़े हुए इतिहास के पन्नों मे संचित है। युवाओ का रोल मोडेल कौन है वो इस बात पे निर्भर करता है की युवा किस श्रेणी से अपने आप को जोड़ पाता है। youth icon आज के ज़माने मे कोई व्यक्ति विशेष हो सकता है। विवेकानंद उस दौर के youth icon थे जब भारत अपना खुद का वजूद खो रहा था। भारत के युवाओ मे नई जान फूकने का काम इस महान व्यक्तित्व ने अपने तर्क और ज्ञान से ही कर दिया। एक बार की बात है स्वामी जी अपने किसी अनुयायी के संग जलसे मे गए। वो जलसा दरअसल एक विदेश से पढ़ कर आये भारतीय का था। हिन्दू होते हुए भी वो पूजा पाठ मे यकीन नही रखता था। अपने अंग्रेज़ मित्रो के साथ वो उन्ही के रंग मे रंग कर रह गया। जब उस युवा राजा को स्वामी जी के बारे मे पता लगा, वो उनसे हिन्दूओ की पूजा पद्धति और मूर्ति पूजन पर विवाद करने लगा। स्वामी जी भी उचित उत्तर देने लगे। परंतु युवा ने उनकी एक न मानी। तद्पश्चात स्वामी दीवार के पास गए। दीवार पे टंगी फोटो को देख कर उसे उतारा और उस युवा से तस्वीर पर थूकने को कहा। युवा राजा ने क्रोध मे कहा की ये तस्वीर उसके पिता की है जो अब इस दुनिया मे नही है।स्वामी जी ने कहा की तुम इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो इसलिए तस्वीर पे नही थूक रहे । ऐसे ही हिन्दू भी पत्थर की मूर्ति मे अपने इष्ट को देखते है। युवा राजा हक्काबक्का रह कर स्वामी जी को निहारता रहा। उसे अपनी गलती का एहसास था।सही मायनो मे icon वो होता है जो बिना हिंसा के हृदय मे अपनी पहचान छोड़ जाये। चाहे विवेकानंद एक सदी पीछे छूठ गए हो , परंतु आज भी वो युवाओ के बीच लोकप्रिय है। शायद इसलिए ही भारत मे 12 january हर साल national youth day के रूप मे आयोजित होता है। To celebrate birthday of Great Swami Vivekananda.
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